शंकाराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के पास रोज हजारों लोग चिट्ठी भेजकर अपने सवाल पूछते हैं। शंकाराचर्य उन सभी सवालों का शास्त्रीय प्रमाण के साथ जवाब भी देते हैं।
एक भक्त ने शंकाराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से चिट्ठी के माध्मय से अपना सवाल पूछा कि ‘विवाह दिन में करें या रात में?’ जानें क्या दिया शंकराचार्य ने इसका जवाब…
शंकाराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ‘विवाह के लिए दिन और रात का विचार नहीं किया जाता। विवाह के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है स्थिर लग्न। इसी लग्न में विवाह किया जाता है।’
शंकाराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार, ‘जब दो लोग विवाह करते हैं तो सबसे जरूरी रहता है कि वे जीवन भर एक साथ रहे। इसलिए स्थिर लग्न में विवाह करने की परंपरा है।’
शंकाराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार, ‘सनातन धर्म में तलाक, डार्यवोर्स, छोड़ा-छुट्टी आदि कोई परंपरा नहीं है, जिससे की पति-पत्नी का संबंध विच्छेद किया जा सके।’
शंकाराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार, ‘रात में विवाह की परंपरा मुगल काल में शुरू हुई। उस दौरान दिन में विवाह करने पर बाधाएं आती थी। इसलिए रात में विवाह किए जाने लगे।’