शरद पूर्णिमा को ‘कोजगारी’ क्यों कहते हैं, क्या आप जानते हैं?
Spiritual Oct 28 2023
Author: Manish Meharele Image Credits:Getty
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शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को
28 अक्टूबर, शनिवार को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व से जुड़ी कईं परंपराएं हैं जो इसे खास बनाती हैं। इसे पर्व को कोजागरी भी कहते हैं। जानिए क्या है इस नाम का अर्थ..
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देवी लक्ष्मी आती हैं धरती पर
प्राचीन मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों का हाल-चाल जानती है। इस दौरान देवी लक्ष्मी लोगों के घर में प्रवेश भी करती हैं।
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ये बोलती हैं देवी लक्ष्मी
शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी घर-घर जाकर पूछती हैं कि ‘को जागर्ति यानी कौन जाग रहा है? जो जाग रहा होता है महालक्ष्मी उसके घर में प्रवेश करती हैं और उसे हर सुख प्रदान करती हैं।
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इसलिए कहते हैं कोजागरी
देवी लक्ष्मी द्वारा ‘को जागर्ति’ यानी कौन जाग रहा है, पूछने पर ही इस पर्व का एक नाम कोजागरी भी प्रसिद्ध है। इस पर्व को कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
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क्यों खास है शरद पूर्णिमा?
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, इसलिए रात में चंद्रमा की रोशनी में खीर खाई जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से बीमारियां नहीं होतीं।
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शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का संयोग
इस पर शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का संयोग बन रहा है। इसका सूतक दोपहर 04.44 से ही शुरू हो जाएगा, इसलिए सर चंद्रमा की रोशनी में न तो खीर बनाएं और न ही इसे खाएं।