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पिता की मृत्यु के बाद पुत्र को ‘पगड़ी’ क्यों बांधी जाती है?

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मृत्यु के बाद होती है पगड़ी रस्म

हिंदू धर्म में जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो 13 दिनों तक उसके पुत्र द्वारा कईं परंपरा निभाई जाती हैं। पगड़ी रस्म भी इनमें से एक है। कम ही लोग इसके पीछे का कारण जानते हैं।

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कब होती है पगड़ी रस्म?

जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो 13वें दिन उसकी आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा-पाठ व भोजन आदि करवाया जाता है। इसी दौरान पगड़ी रस्म भी पूरी की जाती है।

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किसे बांधते हैं पगड़ी?

पिता की मृत्यु होने पर पुत्र को पगड़ी बांधने की परंपरा है। अगर पुत्र एक से ज्यादा हो तो सबसे बड़े पुत्र को पगड़ी बांधी जाती है। पुत्र न हो तो दाह संस्कार करने वाले को पगड़ी बांधते हैं।

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कौन बांधता है पगड़ी?

मृत्यु के 13वें आयोजित कार्यक्रम के दौरान दाह संस्कार करने वाले को उसके मामा या ससुराल पक्ष के लोग पगड़ी बांधते हैं। अन्य लोग भी पगड़ी बांधते हैं, लेकिन मुख्य यही होती है।

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क्यों बांधते हैं पगड़ी?

जब परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाती है तो 13वें दिन आयोजित कार्यक्रम में नई मुखिया के रूप में उसके पुत्र को पगड़ी बांधी जाती है। ये एक तरह से राज्याभिषेक की तरह होता है।

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पगड़ी का अर्थ जिम्मेदारी

पिता की मृत्यु के बाद जब पुत्र को पगड़ी बांधी जाती है तो इसका अर्थ ये होता है कि अब परिवार चलाने की जिम्मेदारी आपकी है। परिवार से संबंधित हर फैसला अब आपको लेना है।

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