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जन्म से तुलसीदासजी के मुंह में थे 32 दांत, पैदा होते ही बोले थे राम !

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आज है तुलसीदास जयंती (Tulsidas Jayanti 2023)

गोस्वामी तुलसीदासजी का जयंती पर्व 23 अगस्त, बुधवार को है। तुलसीदास जी के जीवन से जुड़ी कईं ऐसी बातें हैं, जिनके बारे में कम लोग जानते हैं। आगे जानिए ऐसी ही कुछ रोचक बातें…

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जन्म से ही थे 32 दांत

गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 में हुआ था। इन्होंने जन्म लेते ही राम बोला था। इसलिए इनका नाम पहले रामबोला रखा गया। कहते हैं जन्म से ही इनके मुख में 32 दांत थे।

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पत्नी के व्यवहार से बन गए संत

तुलसीदास जी की पत्नी का नाम रत्नावली था। एक दिन जब पत्नी मायके गई तो ये भी वहां पहुंच गए। पत्नी ने जब ये देखा तो इन्हें बहुत भला-बुरा कहा। इसके बाद ये श्रीराम की भक्ति में रम गए।

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महादेव के कहने पर लिखी रामचरित मानस

धर्म ग्रंथों के अनुसार, सपने में आकर महादेव ने ही इनसे श्रीराम के जीवन पर ग्रंथ लिखने को कहा था। इसके बाद तुलसीदास जी अयोध्या आ गए और उन्होंने श्रीरामचरितमानस की रचना की।

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इतने दिनों में लिखी रामचरित मानस

तुलसीदासजी ने संवत् 1631 में रामचरितमानस की रचना प्रारंभ की और 2 वर्ष, 7 महीने व 26 दिन के बाद संवत् 1633 में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को ये कार्य पूर्ण किया।

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भगवान शिव ने किए हस्ताक्षर

जब तुलसीदासजी काशी आए तो उन्होंने रात को मानस को भगवान विश्वनाथ के मंदिर में रखा, सुबह मंदिर खुलने पर उस पर सत्यं शिवं सुंदरम् लिखा था और नीचे भगवान शिव के हस्ताक्षर थे।

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राम-लक्ष्मण और हनुमानजी के हुए दर्शन

मान्यताओं के अनुसार तुलसीदासजी को हनुमानजी के साक्षात दर्शन हुए थे। उनके कहने पर ही तुलसीदासजी चित्रकूट आ गए। यहां उन्हें भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के दर्शन हुए।

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12 से अधिक ग्रंथ लिखे

तुलसीदासजी ने 12 ग्रंथ लिखे। उन्हें संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है। श्रीरामचरित मानस इनका श्रेष्ठ ग्रंथ है।

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