जो लोग प्रेम संबंधों में होते हैं, उन्हें ये जानना चाहते हैं कि उनका प्रेम विवाह हो पाएगा या नहीं? जन्म कुंडली देखकर ये जाना जा सकता है। आगे जानिए कब बनते हैं प्रेम विवाह के योग…
जन्म कुंडली का सातवां भाव विवाह से जुड़ा है और राहु का संबंध इस भाव से होने पर व्यक्ति परिवार की मर्जी के बिना प्रेम विवाह करने की सोचता है और इसमें तक सफल भी रहता है।
जब किसी की जन्म कुंडली में राहु पहले यानी लग्न भाव में होता है और सातवें भाव पर गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसे लोगों के प्रेम विवाह की संभावना काफी बढ़ जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की जन्म कुंडली में पंचमेश का उच्च राशि में राहु या केतु हो तो उस व्यक्ति के प्रेम विवाह की प्रबल संभावना रहती है।
ज्योतिषियों के अनुसार, जिस व्यक्ति की जनम कुंडली में मंगल का शनि या राहु से संबंध युति हो तो प्रेम विवाह होने की परिस्थिति काफी ज्यादा बनती है।
यदि किसी की जन्म कुंडली में सप्तमेष यानी सातवें भाव के स्वामी और शुक्र ग्रह पर शनि या राहु की दृष्टि हो तो उस व्यक्ति का प्रेम विवाह होना निश्चित होता है।