विदुर नीति के एक श्लोक में बताया गया है कि किसी महिला की तारीफ कब और किस स्थिति से करनी चाहिए। महात्मा विदुर की ये बातें हमारे लिए बहुत काम की है। जानें क्या है नीति…
Image credits: adobe stock
Hindi
विदुर नीति का श्लोक
जीर्णमन्नं प्रशंसन्ति भार्या च गतयौवनाम्। शूरं विजितसंग्रामं गतपारं तपस्विनम्।।
Image credits: adobe stock
Hindi
ये है श्लोक का अर्थ
सज्जन पुरुष पच जाने पर अन्न की, निष्कलंक जवानी निकल जाने पर स्त्री की, युद्ध जीत लेने पर योद्धा की और ज्ञान प्राप्त हो जाने पर तपस्वी की प्रशंसा करते हैं।
Image credits: adobe stock
Hindi
क्यों करें स्त्री की प्रशंसा?
अक्सर स्त्रियां जवानी में कुछ न कुछ ऐसा गलत कर बैठती हैं जिसकी वजह से उन पर दोष लग जाता है। जिस स्त्री की जवानी बिना किसी दोष के निकल जाए, उसकी प्रशंसा जरूर करनी चाहिए।
Image credits: Getty
Hindi
कब करें भोजन की तारीफ?
भोजन स्वादिष्ट हो और आसानी से पच भी जाए, ऐसा हर बात नहीं होता। इसलिए जो भोजन आसानी से पच जाए यानी जिसे खाने के बाद किसी तरह की परेशानी न हो, वह तारीफ के योग्य होता है।
Image credits: Getty
Hindi
योद्धा की तारीफ भी जरूरी
कोई भी युद्ध बिना योद्धाओं के नहीं जीता जा सकता। इसलिए युद्ध में जीतने के बाद योद्धाओं की तारीफ जरूर करनी चाहिए। इससे उनका मनोबल बढ़ता है और वे सम्मानित महसूस करते हैं।
Image credits: wikipedia
Hindi
तपस्वी की प्रशंसा कब करें?
अगर किसी साधारण तपस्वी को ज्ञान की प्राप्ति हो जाए तो वह भी सम्मान के योग्य हो जाता है। ऐसे साधु-संतों की तारीफ करने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। ये अच्छा काम है।