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महिलाओं की तारीफ कब करनी चाहिए?

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ध्यान रखें ये बातें

विदुर नीति के एक श्लोक में बताया गया है कि किसी महिला की तारीफ कब और किस स्थिति से करनी चाहिए। महात्मा विदुर की ये बातें हमारे लिए बहुत काम की है। जानें क्या है नीति…

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विदुर नीति का श्लोक

जीर्णमन्नं प्रशंसन्ति भार्या च गतयौवनाम्।
शूरं विजितसंग्रामं गतपारं तपस्विनम्।।

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ये है श्लोक का अर्थ

सज्जन पुरुष पच जाने पर अन्न की, निष्कलंक जवानी निकल जाने पर स्त्री की, युद्ध जीत लेने पर योद्धा की और ज्ञान प्राप्त हो जाने पर तपस्वी की प्रशंसा करते हैं।

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क्यों करें स्त्री की प्रशंसा?

अक्सर स्त्रियां जवानी में कुछ न कुछ ऐसा गलत कर बैठती हैं जिसकी वजह से उन पर दोष लग जाता है। जिस स्त्री की जवानी बिना किसी दोष के निकल जाए, उसकी प्रशंसा जरूर करनी चाहिए।

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कब करें भोजन की तारीफ?

भोजन स्वादिष्ट हो और आसानी से पच भी जाए, ऐसा हर बात नहीं होता। इसलिए जो भोजन आसानी से पच जाए यानी जिसे खाने के बाद किसी तरह की परेशानी न हो, वह तारीफ के योग्य होता है।

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योद्धा की तारीफ भी जरूरी

कोई भी युद्ध बिना योद्धाओं के नहीं जीता जा सकता। इसलिए युद्ध में जीतने के बाद योद्धाओं की तारीफ जरूर करनी चाहिए। इससे उनका मनोबल बढ़ता है और वे सम्मानित महसूस करते हैं।

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तपस्वी की प्रशंसा कब करें?

अगर किसी साधारण तपस्वी को ज्ञान की प्राप्ति हो जाए तो वह भी सम्मान के योग्य हो जाता है। ऐसे साधु-संतों की तारीफ करने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। ये अच्छा काम है।

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