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मरने के बाद क्या-क्या होगा आपके साथ? जान लीजिए अभी !

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क्या लिखा है गरुड़ पुराण में?

श्राद्ध पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपाय किए जाते हैं। मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक तक कैसे जाती है, इसके बारे में गरुण पुराड़ में बताया गया है…

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ऐसे निकलते हैं शरीर से प्राण

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के समय आदमी चाहकर भी बोल नहीं पाता और हिल-डुल भी नहीं पाता। जैसे ही आत्मा शरीर से निकलती है, दो यमदूत उसे पकड़ लेते हैं और यमलोक ले जाते हैं।

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डराते हैं यमदूत

यमलोक ले जाने से पहले यमराज आत्मा को डराते हैं और नरक में मिलने वाले दुखों के बारे में बताते हैं। ऐसी भयानक बातें सुनकर आत्मा रोने लगती है, किंतु यमदूत उस पर दया नहीं करते।

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इतना कष्ट सहती है आत्मा

यमलोक जाने के मार्ग पर आत्मा गर्म हवा तथा गर्म बालू पर ठीक से चल नहीं पाती और भूख-प्यास से तपड़ने लगती है। तब यमदूत उसकी पीठ पर चाबुक मारते हुए उसे आगे ले जाते हैं।

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इतनी दूर है यमलोक

यमलोक धरती से 99 हजार योजन दूर है। यमदूत आत्मा को वहां ले जाते हैं जहां यमराज उसे सजा देते हैं। इसके बाद वह जीवात्मा यमराज की आज्ञा से यमदूतों के साथ फिर से अपने घर आती है।

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भूख-प्यास से तड़पती है आत्मा

घर आकर आत्मा शरीर में पुन: प्रवेश करने की कोशिश करती है, लेकिन यमदूत उसे बंधनों से मुक्त नहीं करते। भूख-प्यास के कारण आत्मा रोती है। पिंडदान से भी आत्मा की तृप्ति नहीं होती।

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इसलिए करते हैं पिंडदान

परिजनों द्वारा पिंडदान न करने पर वह आत्मा प्रेत बन जाती है। इसलिए मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। पिंडदान से ही आत्मा को चलने की शक्ति प्राप्त होती है।

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अकेली पहुचंती है यमलोक

इस प्रकार भूख-प्यास से तड़पती हुई वह आत्मा यमलोक तक अकेली ही जाती है। यमलोक तक पहुंचने का रास्ता वैतरणी नदी को छोड़कर छियासी हजार योजन बताया गया है।

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इतने दिन में आत्मा पहुंचती है यमलोक

गरुड़ पुराण के अनुसार, 47 दिन लगातार चलने के बाद आत्मा यमलोक पहुंचती है। जहां यमराज उसे दंड देते हैं। इस प्रकार मार्ग में सोलह पुरियों को पार कर पापी जीव यमराज के पास पहुंचता है।

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