हिंदू धर्म में पत्नी को पति की अर्धांगिनी कहा जाता है, जिसका अर्थ है शरीर का आधा हिस्सा। विवाह के बाद कुछ काम ऐसे हैं, जो पति-पत्नी को साथ मिलकर करना चाहिए।
विवाह में कुछ वचन पति-पत्नी को दिलाए जाते हैं। उसमें ये भी बताते हैं कि कौन-से 4 काम पति को अकेले नहीं करना चाहिए, उसमें पत्नी का होना आवश्यक है। जानिए कौन-से हैं वो 4 काम…
पति जब भी किसी को कुछ दान करे तो उसमें पत्नी को होना जरूरी है, ऐसा धर्म ग्रंथों में बताया गया है। पत्नी के बिना दान करने पर उसका संपूर्ण फल नहीं मिलता।
पति यदि अकेले तीर्थ यात्रा पर जाए तो इसका पुण्य फल उसे नहीं मिल पाता। धर्म ग्रंथों में पति-पत्नी के साथ तीर्थ यात्रा पर जाने का नियम है। इसी से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
शुभ कार्यों में हवन और यज्ञ भी किया जाता है। इस दौरान पति-पत्नी का साथ होना जरूरी माना जाता है। विवाहितों को बिना पत्नी के हवन-यज्ञ करने की मनाही है।
पूजा और आरती करते समय भी पत्नी का साथ होना जरूरी है। पत्नी यदि पूजा-आरती के दौरान पति के हाथ को स्पर्श करके रखे तो भी इसका पूरा फल मिलता है।