इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाने और खाने की परंपरा है। जानें इस परंपरा के पीछे की वजह…
ग्रंथों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है और धरती के काफी नजदीक होता है। इस स्थिति में इससे निकलने वाली किरणें पृथ्वी पर सीधे आती हैं।
चंद्रमा की किरणें हमारे मनोमस्तिष्क पर गहरा असर डालती हैं। इन किरणों का संपर्क जब खीर से होता है तो वह औषधि बन जाती है। इसे खाने से सेहत में बहुत फायदा होता है।
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है। इसी नक्षत्र में अमृत भी प्रकट हुआ था। मान्यता है कि जब चंद्रमा अश्विन नक्षत्र में होता है तो उसकी किरणों से अमृत बरसता है।
जब हम शरद पूर्णिमा की रात में खीर बनाते हैं तो अमृत युक्त चंद्रमा की किरणें उसे और भी फायदेमंद बना देती हैं। ये खीर खाने से हमारे शरीर को लाभ मिलता है और मन शुद्ध होता है।
शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। देवी लक्ष्मी को खीर का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। ये खीर प्रसाद के रूप में खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।