जब भी किसी देवी-देवता की पूजा-पाठ की जाती है तो उसमें चावल का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। बहुत कम लोगों को इसके पीछे का कारण पता है। जानें क्या है इसकी वजह…
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, सभी अन्नों में चावल को श्रेष्ठ माना गया है, इसलिए इसका उपयोग हर पूजा-पाठ में किया जाता है और देवी-देवताओं को भी चढ़ाते हैं।
चावल का एक नाम अक्षत भी है। अक्षत का अर्थ है जिसका क्षय न हुआ हो यानी जो अपने आप में संपूर्ण हो। इसलिए चावल को अन्य अनाजों ती तुलना में अधिक श्रेष्ठ माना गया है।
चावल को हविष्य अन्न भी कहा जाता है यानी इसका उपयोग हवन-यज्ञ आदि में डाली जाने वाली सामग्री में भी किया जाता है। देवताओं को हविष्य अन्न यानी चावल विशेष रूप से प्रिय है।
चावल शुक्र ग्रह का अन्न है। शुक्र ग्रह के शुभ फल से ही जीवन मे भौतिक सुख-सुविधाएं मिलती हैं। मान्यता है पूजा में चावल का उपयोग करने से हमारा शुक्र ग्रह मजबूत होकर शुभ फल देता है।
किसी भी देवी-देवता के पूजन में चावल चढ़ाते समय ये मंत्र बोलना चाहिए-
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठकुङ्कमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥