बिहार की धरती पर विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में की गई थी।
नालंदा दो नामों से जोड़ कर बना है। नालम" और "दा। जिसका मतलब ज्ञान देने वाला होता है।
पुराने समय में नालंदा दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रसार का एक प्रमुख केंद्र माना जाता था।
कई प्राचीन बौद्ध मंदिर और स्तूप मौजूद है नालंदा में।
10,000 से अधिक छात्र और 2,000 शिक्षक थे नालंदा विश्वविद्यालय में।
आश्चर्य की बात ये है कि नालंदा विश्वविद्यालय की पुस्तकालय में 9 मंजिलें थीं और लाखों पुस्तकें थीं।
बौद्ध धर्म के महान आचार्यों में से एक नागार्जुन का जन्म नालंदा में ही हुआ था।
पुराने समय का ऑक्सफोर्ड कहा जाता है नालंदा विश्वविद्यालय को।
नालंदा की प्रसिद्ध कुंडलपुर विश्वविद्यालय भी है।
कई प्राचीन हिंदू मंदिर भी नालंदा में मौजूद है।
नालंदा जिले में स्थित राजगीर पहाड़ियों में जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर, पार्श्वनाथ का जन्म हुआ था।
नालंदा की गणना विश्व के सात अजूबों में से एक के रूप में की जाती है।
यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल किया गया है नालंदा विश्वविद्यालय को।
12वीं शताब्दी में तुर्की आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था।