देश भर में दिवाली के बाद मनाया जाने वाला भाई दूज का पर्व बहन भाई के पर्व का प्रतीक है।
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक विशेष समुदाय में भाई दूज पर बहनें भाई को मरने का श्राप देती हैं। इसके बाद अपनी जीभ पर कांटे भी चुभोती हैं। सैकड़ों वर्ष से ये परंपरा चली आ रही है।
श्राप देने एवं जीभ पर कांटा चुभा कर प्रायश्चित करने के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन का प्रेम अटूट बना रहे। बाद में बहनें तिलक लगाकर भाई की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
एक बार यमराज ऐसे व्यक्ति के प्राण लेने आए थे जिसकी बहन ने भाई को कभी भलाबुरा न कहा हो और न श्राप दिया हो। यमराज एक व्यक्ति ऐसा मिला और वह उसके प्राण हरने की योजना बना रहे थे।
बहन को पता चला तो उसने भाई को गालियां दी और मरने का श्राप दिया। इस पर यमराज उसके प्राण नहीं ले जा सके। फिर बहन ने जीभ पर कांटे चुभो कर खुद को सजा दी। तब से ये प्रथा चली आ रही।
देश भर में भाई दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बहनें तिलक लगाकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं।