अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ में जान गंवाने वाले मेजर आशीष धौंचक का 15 सितंबर को पानीपत के बिंझौल में अंतिम संस्कार हुआ, चचेरे भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी
यह दु:खद संयोग है कि जिस नए घर में वे अपने जन्मदिन पर गृहप्रवेश करने वाले थे, उसमें उनकी पार्थिव शरीर पहुंचा, 2 साल से चल रहे इस मकान के निर्माण कार्य की देख-रेख आशीष खुद कर रहे थे
23 अक्टूबर को मेजर आशीष का जन्मदिन था, वे इसी दिन गृहप्रवेश करने वाले थे
आशीष धौंचक 2012 में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती हुए थे, 2018 में मेजर के पद पर प्रमोशन के बाद जम्मू-कश्मीर के राजौरी में पोस्टेड हुए
इसी साल मेजर आशीष को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था, 15 अगस्त, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें ये मेडल दिया था
पानीपत के बिंझौल गांव निवासी आशीष के परिवार में माता-पिता, पत्नी और एक बच्ची है
अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ 12 सितंबर शाम शुरू हुई थी, अगले दिन फिर से तलाशी हुई, तब आतंकियों के हमले में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक, डीएसपी हुमायूं भट की जान चली गई