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5 साल पुरानी नकली कोर्ट, फर्जी जज और फैसले...जानें चौंकाने वाला खुलासा

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मिलिए फर्जी इस फर्जी जज से

मिलिए इन महाशय से! ये हैं गुजरात के मॉरिस सैमुअल, जिन्होंने खुद का न केवल ट्रिब्यूनल कोर्ट खोल, बल्कि उसके जज भी बन गए। बात यहीं नहीं रुकी, आगे पढ़िए इनकी कारगुजारियां।

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चौंकाने वाली है इस ठग की कहानी

मॉरिस सैमुअल की कहानी चौंकाने वाली है, क्योकि ये सख्श कोई दिन, हफ्ते या महीने नहीं बल्कि बीते 5 साल से खुद की ट्रिब्यूनल कोर्ट बनाकर खुद बतौर जज फैसले दे रहा था वो भी ताबड़तोड़।

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धोखाधड़ी का खुलासा होने पर पुलिस भी रह गई भौचक

गुजरात पुलिस ने जब इस बड़ी धोखाधड़ी का खुलासा किया तो सुनने वाले लोग भौचक रह गए। पुलिस के अनुसार मॉरिस सैमुअल नामक एक व्यक्ति ने आज से 5 साल पहले अपनी ठगी का कारोबार शुरू किया।

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फर्जी कोर्ट में करता था जमीन से जुड़े मुकदमों की सुनवाई

उसने पहले फर्जी ट्रिब्यूनल कोर्ट बनाई। फिर खुद को उस कोर्ट जज घोषित कर कुर्सी पर बैठ गया। उसके बाद उसने जमीन से जुड़े मामलों में अपनी सुविधानुसार गलत फैसले सुनाने लगा।

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कहां चल रही थी ये फर्जी अदालत?

ये नकली अदालत गांधीनगर में चल रही थी, जहां मॉरिस सरकारी जमीन से जुड़े विवादों का फर्जी निपटारा कर रहा था। वो असली कोर्ट जैसा माहौल बनाकर ऑफिस में जमीन से जुड़े आदेश पारित करता था।

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100 एकड़ सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से हथिया लिया

पुलिस के मुताबिक सैमुअल ने करीब 100 एकड़ सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से अपने या अपने मुवक्किलों के नाम करवा लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि यह नकली अदालत पिछले 5 साल से चल रही थी।

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पांच साल में जमीन से जुड़े कई मामलों में पारित किए आदेश

इन पांच सालों के दौरान मॉरिस ने जमीन से जुड़े कई मामलों में आदेश पारित किए। मॉरिस ने उन लोगों को निशाना बनाया, जिनके जमीनी विवाद कोर्ट में लंबित थे।

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सैमुअल के साथी निभाते थे वकील व कर्मचारी की भूमिका

वह खुद को कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ (ऑर्बिट्रेटर) बताता और मुवक्किलों से फीस वसूलता। कोर्ट में उसके साथी अदालत के कर्मचारियों और वकीलों की भूमिका निभाते ताकि असली कोर्ट लगे।

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ऐसे सामने आई फर्जी जज की असलियत

मॉरिस की गिरफ्तारी तब हुई जब उसने एक सरकारी जमीन का फैसला पारित किया और असली अदालत के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को शक हुआ। शिकायत मिलने पर पुलिस ने इस फर्जी कोर्ट का पर्दाफाश किया।

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