कन्याकुमारी को ऐतिहासिक रूप से केप कोमोरिन के नाम से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र ये शहर देवी कन्या कुमारी के नाम पर है।
ये पवित्र भूमि प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक धरोहरों का अनोखा संगम प्रस्तुत करती है। यहां देश की प्रकृति, संस्कृति और धार्मिक विरासत के दर्शन होते हैं।
कन्याकुमारी की यात्रा में विवेकानंद रॉक मेमोरियल जरूर जाएं। ये समुद्र के मध्य स्थित एक छोटे से द्वीप पर बना है।ये 2 प्रमुख भवनों विवेकानंद मंडपम और श्रीपाद मंडपम से मिलकर बना है।
श्रीपाद मंडपम में स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित एक संग्रहालय भी है। यहां आने वाले लोग ध्यान मंडप में बैठकर ध्यान और चिंतन कर सकते हैं। यहां पीएम मोदी ध्यान लगा चुके हैं।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास ही 133 फीट ऊंची तिरुवल्लुवर की भव्य प्रतिमा तमिल कवि और संत की विरासत को दर्शाती है। यह प्रतिमा भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर का प्रतीक है।
कन्याकुमारी बीच वो स्थान है, जहां 3 महासागर अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर मिलते हैं। यहां सूर्यास्त और सूर्योदय बेहद आकर्षक होते हैं, जो बहुत मनोरम होता है।
ये प्राचीन मंदिर कन्याकुमारी से 45 किमी.दूर है। यह 9वीं शताब्दी में निर्मित एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है, जो अपने चट्टान-काटी मूर्तियों और जैन धर्म के इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।
कन्याकुमारी से 11 किमी दूर ये मंदिर ब्रह्मा,विष्णु और शिव को समर्पित है। ये जटिल वास्तुकला और संगीतमय पत्थर के स्तंभों के लिए जाना जाता है। ये धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है।