भारत के 51वें चीफ जस्टिस के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने शपथ ली। चुनावी बांड स्कीम और अनुच्छेद 370 पर फैसले शामिल जस्टिस संजीव खन्ना के जीवन और उपलब्धियों के बारे में जानें।
जस्टिस खन्ना ने रविवार को रिटायर्ड हुए जस्टिस चंद्रचूड़ का स्थान लिया। उनका कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। न्यायमूर्ति खन्ना अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे।
वे चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देने, अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन करने और ईवीएम के उपयोग को सुनिश्चित करने वाले निर्णयों में शामिल रहे हैं।
चुनावी बांड योजना के खिलाफ फैसला देकर उन्होंने राजनैतिक फंडिंग में पारदर्शिता की आवश्यकता को महत्वपूर्ण माना था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एक कानूनी परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एचआर खन्ना के भतीजे हैं, जिन्होंने 1976 में एडीएम जबलपुर मामले में असहमति जताकर मौलिक अधिकारों की रक्षा की थी।
जस्टिस एचआर खन्ना के सिद्धांतों और नैतिकता ने उन्हें उच्च न्यायपालिका में विशेष स्थान दिलाया, हालांकि उनके साहसी फैसले के कारण उन्हें चीफ जस्टिस के पद से वंचित होना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति खन्ना ने ईवीएम की सुरक्षा को लेकर उठे सवालों को खारिज करते हुए इसे चुनाव प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण माना।
उन्होंने कहा कि EVM बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान को रोकने में सहायक है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले का समर्थन करते हुए इसे संवैधानिक करार दिया।
न्यायमूर्ति खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की है। वे NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष और कई सरकारी विभागों में वरिष्ठ वकील भी रह चुके हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट में उन्होंने अपराध संबंधी मामलों में अतिरिक्त सरकारी वकील के रूप में भी सेवा दी है। उनकी नियुक्ति से देश में न्यायपालिका में एक नए दौर की शुरुआत की उम्मीदें हैं।