अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर (श्री विजयपुरम) में स्थित सेल्यूलर जेल का इतिहास किसी खौफनाक सपने से कम नहीं है। जहां स्वतंत्रता सेनानियों को कालापानी की सजा दी जाती थी।
पोर्ट ब्लेयर (श्री विजयपुरम) में साल 1906 में सेल्युलर जेल बनाई गई। जिसे अंग्रेजों ने तैयार किया था।
सेल्यूलर जेल में राजनीतिक कैदियों को कारावास की सजा पूरा करने लिए रखा जाता था। जो स्वतंत्रता के लिए लड़ते थे।
पोर्ट ब्लेयर (नया नाम विजयपुरम) की जेल में बाबाराव सावरकर, बटुकेश्वर दत्त, दीवान सिंह और विनायक दामोदर सावरकर जैसे कई लोग रहे हैं।
सेल्यूलर जेल को बनाने के लिए अंग्रेजों ने खासकर ऐसी जगह का चुनाव किया था, जहां पर किसी का भी आना मुश्किल था। आलम ये था कि यहां से कैदियों का भागना न के बराबर था।
आज भी पोर्ट ब्लेयर (नया नाम श्री विजयपुरम) की सेल्यूलर जेल काफी मजबूत मानी जाती है। इसे बनाने के लिए अंग्रेजों ने खास तरह की ईंटें बर्मा (Myanmar) से मंगाया था और लोहे इंग्लैंड से।
सेल्यूलर जेल में करीब 693 सेल हैं। यहां कैदियों को इतनी सख्त सजा दी जाती थी कि लोग शारीरिक और मानसिक रूप से टूट जाते थे। कई लोग तो सुसाइड कर लेते थे।