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जानें सीताराम येचुरी की बचपन से लेकर अब तक की 10 बड़ी बातें

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तेलुगु ब्रह्माण परिवार में सीताराम येचुरी का जन्म

12 अगस्त, 1952 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के तेलुगु ब्रह्माण परिवार में सीताराम येचुरी का जन्म हुआ था। मां और पिता दोनों गर्वमेंट ऑफिसर थे।

Image credits: @SitaramYechury
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सीताराम येचुरी की शुरुआती शिक्षा

हैदराबाद के ऑल सैंट हाईस्‍कूल से सीताराम येचुरी की शुरुआती शिक्षा हुई। इसके बाद वो 1969 में दिल्‍ली आ गए और प्रेंजीडेंट्स स्‍कूल से पढ़ाई पूरी की

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येचुरी ने दिल्‍ली से की उच्च शिक्षा की पढ़ाई

दिल्‍ली के स्टेफन कॉलेज से येचुरी ने इकोनॉमिक्‍स में बीएम ऑनर्स किया। बाद में JNU में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। इसके साथ ही 1975 में JNU से PHD भी करने लगे।

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सीताराम येचुरी ने की थी 2 शादियां

सीताराम येचुरी ने 2 शादियां की थी। पहली पत्नी का नाम इंद्राणी मजूमदार है। जिनसे उनका एक बेटा था और एक बेटी है। दूसरी शादी सीमा चिश्ती से की, जो कि BBC की पत्रकार थी।

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येचुरी स्टूडेंट लाइफ में ही राजनीति में शामिल हो गए

येचुरी स्टूडेंट लाइफ में ही राजनीति में शामिल हो गए। साल 1974 में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़े और बाद में CPI (M) के मेंबर बन गए।

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इमरजेंसी के वक्त येचुरी हो गए थे अंडग्राउंड

साल 1975 में इमरजेंसी के वक्त येचुरी अंडग्राउंड हो गए। बाद में साल 1977 से 1978 JNU में स्टूडेंट के लिए काफी कुछ किया। इसके लिए CPI (M) पार्टी में कई पदों पर काबिज रहे।

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अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते पर वापस लिया समर्थन

साल 2008 में सीताराम येचुरी ने तत्कालिन मनमोहन सिंह की सरकार से अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते पर उन्होंने समर्थन वापस ले लिया था। इस वजह से वो देशभर में और भी लोकप्रिय हो गए।

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सीताराम येचुरी 2015 में CPI(M) पार्टी के महासचिव बने

सीताराम येचुरी 2015 में CPI(M) पार्टी के महासचिव बने। इसके बाद 2018 में फिर से चुने गए। उन्होंने अपने पार्टी के चिह्न लाल झंडे को बुलंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ा।

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येचुरी राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं

राजनीतिक जीवन में येचुरी राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने एक सांसद के तौर पर राज्यसभा में पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व किया।

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येचुरी का भाषण संसद में छोड़ता था अलग छाप

येचुरी का भाषण संसद में एक अलग छाप छोड़ता था। उन्होंने हमेशा अपने जीवनकाल में सामाजिक न्याय, श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ाई की है।

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