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कौन थे टॉयलेट मैन बिंदेश्वर पाठक, 75 रुपए से बदल दी इंडिया की तस्वीर

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दिल्ली के एम्स में बिंदेश्वर पाठक का निधन

टॉयलेट मैन नाम से मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक का निधन हो गया है। मंगलवार को कार्डियक अरेस्ट से दिल्ली के एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे 80 साल के थे।

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इंडिया का टॉयलेट मैन कहा जाता

बिंदेश्वर पाठक को इंडिया का टॉयलेट मैन कहा जाता है। उन्होंने शौचालयों को सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा बनाने में अहम भूमिका निभाई।

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1970 में सुलभ की स्थापना

पाठक ने 1970 में सुलभ की स्थापना की थी जो सार्वजनिक शौचालय का पर्याय बन गया और खुले में शौच को रोकने के लिए जल्द ही यह आंदोलन बन गया।

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आज देश में हैं हाजरों सार्वजनिक शौचालय

आज पूरे देश भर में 9,000 से अधिक सामुदायिक सार्वजनिक शौचालय परिसर मौजूद हैं। जिनमें बिजली और 24 घंटे पानी की आपूर्ति है। पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्थान बने हैं।

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75 रुपए से शुरू किया था सुलभ इंटरनेशनल

पाठक ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने 75 रुपए से सुलभ इंटरनेशनल की नींव रखी थी। वह भी कई लोगों से ये पैसे जुटाए थे। आज सुलभ शौचालय इंटरनेशनल ब्रांड गया।

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बिहार के वैशाली के रहने वाले थे पाठक

बिंदेश्वर पाठक मूल रूप से बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बघेल गांव के रहने वाले थे। साधारण परिवार में जन्म हुआ था। उनके घर में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है।

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कई इंटरनेशनल अवॉर्ड भी मिल चुके

बिंदेश्वर पाठक को कई इंटरनेशनल अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। उऩके कार्यों के लिए भारत सरकार से भी वो कई बार सम्मान पा चुके हं।

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