बिरसा मुंडा ने 1895 में लगान माफी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला था, उन्हें गिरफ्तार करके 2 साल के लिए जेल भेज दिया गया था
बिरसा मुंडा ने 1897 से 1900 तक अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ा था, तब उनकी गिरफ्तारी पर अंग्रेजों ने 500 रुपए का इनाम रखा था
बिरसा मुंडा को अंग्रेजों ने गिरफ्तार करके रांची जेल भेजा था, जहां 9 जून, 1990 को उनकी रहस्यमयी हालत में मौत हो गई थी
जननायक कहे जाने वाले बिरसा मुंडा की जिंदगी और संघर्ष पर दो फिल्में भी बनीं-पहले गांधी (2008) और उलगुलान-एक क्रांति (2004)
आदिवासियों के बीच भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुंडा ने महज 24 साल की उम्र में देश के लिए कुर्बानी दे दी थी, उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को हुआ था
केंद्र सरकार ने 10 नवंबर 2021 को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को "जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाने का ऐलान किया था