आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा का आज गुरूवार को ओंकारेश्वर में अनावरण हो गया। इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहन और ब्रह्मोत्सव में 5 हजार साधु-संत जुटे।
आदि शंकराचार्य की 108 फीट की ये प्रतिमा 12 साल के आचार्य शंकर की झलक है। जिसे 'स्टैच्यू ऑफ वननेस' का नाम दिया गया है।
यह प्रतिमा 100 टन वजनी है और 75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित है। जिसे बनाने में करीब 148 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
वैसे तो शंकराचार्य का जन्म केरल के कालड़ी गांव में 508-9 ईसा पूर्व और महासमाधि 477 ईसा पूर्व में हुआ था। मां का नाम आर्याम्बा और पिता का नाम शिवगुरु है।
ओंकारेश्वर में अद्वैत लोक (शंकर संग्रहालय) और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना भी की जा रही है।
आदि शंकराचार्य ने 32 वर्ष की आयु में ही देश के चार कोनों में चार मठों ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका शारदा पीठ और पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की थी।
आदि शंकराचार्य के पिता के निधन के बाद 8 वर्ष की उम्र में गुरु की खोज में घर से निकल गए। केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र होते हुए मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर पहुंचे।
आदि शंकराचार्य ने तीन वर्ष तक ओंकारेश्वर में ही शिक्षा-दीक्षा ली। यहीं पर उन्होंने नर्मदा अष्टकम की रचना की थी। अमरकंटक से उन्होंने मां नर्मदा की परिक्रमा यात्रा आरंभ की थी।