राजस्थान का पहला ऐसा मंदिर जहां पर गणपति मंदिर में घुसते ही नेगेटिव थिंकिंग पॉजिटिव में बदल जाती है। इस मंदिर में गणेश चतुर्थी के दिन गणपति का श्रृंगार नहीं होता है।
जयपुर में नाहरगढ़ की पहाड़ियों के बीच बसी हुई यह गणेश प्रतिमा करीब 6 फीट ऊंची है और 4 फीट चौड़ी। जहां मंदिर है वहां नहर थी, इस कारण इसका नाम नहर के गणेश जी रखा गया।
करीब 200 साल पहले रामचंद्र नाम के एक उपासक ने भगवान शिव का हवन किया था, इस हवन की भस्म से यह गणपति प्रतिमा तैयार की गई थीं।
मूर्ति भस्म से तैयार होने के कारण घी , दूध, दही या पंचामृत से गणपति का अभिषेक नहीं किया जाता। अभिषेक के लिए गणपति की 9 इंच की प्रतिमा अलग से स्थापित की गई है।
गणपति के पास खुद के सोने के जेवर हैं। जिनमें 10 लाख रुपए का सोने का मुकुट विशेष है।इसे देखने के लिए हर साल गणेश चतुर्थी पर लाखों लोग मंदिर में आते हैं।