Operation Sindoor: कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी के मामले में विजय शाह पर FIR के बाद इस्तीफे की मांग तेज, लेकिन बीजेपी चुप क्यों है? जानिए इसके पीछे पार्टी के डर और सियासी वजहें…
कांग्रेस, उमा भारती समेत कई नेता कर रहे इस्तीफे की मांग, विजय शाह के बयान ने सरकार की किरकिरी कर दी, नैतिकता पर घिरी बीजेपी।
सीएम मोहन यादव बोले- कोर्ट का आदेश माना गया, वहीं मंत्री प्रतिमा बागरी ने माफी की बात कहकर मामले को शांत करने की कोशिश की। पर क्या इतना काफी है?
विजय शाह 40 साल से विधायक, गोंड आदिवासी समाज का बड़ा चेहरा हैं, बीजेपी उनके इस्तीफे से आदिवासी वोट बैंक में टूट का जोखिम नहीं लेना चाहती।
सूत्रों के अनुसार शाह पर दबाव डाला गया तो वे विधायक पद तक छोड़ सकते हैं, जिससे उपचुनाव और आदिवासी मोर्चे पर पार्टी को नुकसान हो सकता है।
पार्टी अब विवादों में घिरे नेताओं से इस्तीफा नहीं लेती, चाहे केस कितना भी गंभीर हो, टेनी मिश्रा से लेकर बृजभूषण तक यही पैटर्न रहा है।
अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, FIR के बाद अगला स्टेप कोर्ट की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा। तब तक बीजेपी अपने मंत्री को ‘संवेदनशील मुद्दा’ मानकर डिफेंड करती रहेगी।
एमपी में 22% आदिवासी आबादी और 47 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं, विजय शाह गोंड समाज से आते हैं, ऐसे में उनका इस्तीफा बीजेपी के जनाधार को झटका दे सकता है।
शाह पर कार्रवाई बीजेपी के लिए राजनीतिक आत्मघात साबित हो सकता है। पार्टी आदिवासी असंतोष और संभावित बगावत के डर से पीछे हट रही है।