3 साल की मासूम ने लिया मोक्ष का मार्ग! इंदौर की वियाना ने संथारा लिया, ब्रेन ट्यूमर से जूझती बच्ची की ये रहस्यमयी विदाई देशभर में सनसनी बन गई। जानें क्या है संथारा?
वियाना को दिसंबर 2024 में ब्रेन ट्यूमर ट्रेस हुआ। इलाज मुंबई तक चला, लेकिन सुधार नहीं हुआ। परिवार ने जैन मुनि राजेश मुनि महाराज के सान्निध्य में संथारा की प्रक्रिया शुरू की गई।
21 मार्च को आधे घंटे की संथारा प्रक्रिया के 10 मिनट बाद वियाना ने प्राण त्याग दिए। यह संथारा इतना अद्वितीय था कि वियाना का नाम "गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" में दर्ज किया गया।
पीयूष और वर्षा जैन दोनों IT सेक्टर से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि यह आसान नहीं था, लेकिन आध्यात्मिक आस्था और मुनिश्री के निर्देशों पर संभव बनाया गया। उन्हें सम्मानित भी किया गया।
वियाना अब जैन धर्म के इतिहास में सबसे कम उम्र की संथारा धारण करने वाली बालिका बन गई है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में वियाना का नाम दर्ज हो गया है।
इंदौर के कीमती गार्डन में माता-पिता का सम्मान, जैन समाज ने बच्ची की अध्यात्मिक साहसिकता को प्रेरणादायक बताया।
वियाना को शुरू से ही गोशाला दर्शन, पचखाण व दान जैसे धार्मिक संस्कार मिले, जिससे परिवार इस निर्णय के लिए तैयार हुआ।
जहां कुछ लोग इसे भावनात्मक त्याग मानते हैं, वहीं कई मानवाधिकार कार्यकर्ता इतने छोटे बच्चे के संथारा को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
संथारा को सल्लेखना या समाधि-मरण भी कहा जाता है। ये जैन धर्म में एक धार्मिक प्रथा है। जिसमें व्यक्ति स्वेच्छा से मृत्यु तक उपवास करके शरीर को कमज़ोर कर मोक्ष को प्राप्त करता है।