मुंबई में 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में शामिल आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को राजस्थान अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया है।
कोर्ट ने दो आरोपियों इरफान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारवास की सजा सुनाई है। ये मामला साल 2014 से विचाराधीन था।
1993 में बाबरी मस्जिद गिराने के बाद कानपुर, हैदराबाद, सूरत, मुंबई, लखनऊ, कोटा में ट्रेनों में एक के बाद एक सीरियल ब्लास्ट हुए थे। जिसमें अब्दुल करीम टुंडा आरोपी था।
टुंडा इन धमाकों का मास्टर माइंड था। जिसे 2013 में नोपाल बार्डर से गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ कई देशों में आतंकवाद के केस चल रहे हैं।
टुंडा का जन्म दिल्ली के दरियागंज में छत्तालाल मियां क्षेत्र में एक गरीब परिवार में हुआ था। उसने यूपी के गाजियाबाद में पिलखुआ गांव में कारपेंटर का काम शुरू किया था।
टुंडा ने बाद में मुंबई आकर मुस्लिम समाज के लिए तंजीम इस्लाह उल मुस्लिमीन नामक संस्थान की स्थापना की थी। टुंडा कबाड़ी का काम करता था।
टुंडा ने आतंकवादी बनने से पहले कपड़ों का कारोबार भी किया। उसके पिता धातुओं को गलाने का काम करते थे।
पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के गुर्गों के माध्यम से टुंडा लश्कर ए तैयबा के संपर्क में आकर कट्टरपंथी हो गया। जिसके बाद उसने 1993 में सीरियल ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया।
1992 में टुंडा बांग्लादेश भाग गया था। उसने बांग्लादेश और पाकिस्तान में बम बनाने की ट्रेनिंग भी आतंकवादियों को दी थी। इसके बाद वह भारत लौट आया था।