मुंबई वोट हादसे के बाद एलीफेंटा द्वीप चर्चा में हैं। यहां स्थित गुफाओं में अद्भुत हिंदू देवताओं की मूर्तियां, मुंबई की ऐतिहासिक धरोहर स्थल हैं। आइये जानें क्या हैं इसकी खासियतें।
भ्रमित न हों ये मिस्र में नहीं बल्कि मुंबई की 2200 साल पुरानी एलीफेंटा गुफाएं हैं। छोटा द्वीप कई प्राचीन पुरातात्विक अवशेषों से युक्त है, जो समृद्ध सांस्कृतिक अतीत का प्रमाण हैं।
ये एक ऐतिहासिक और विश्व धरोहर स्थल हैं जो अपनी शानदार गुफा मंदिरों और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
ये गेटवे ऑफ इंडिया से 9 समुद्री मील दूर है। इसका नाम पुर्तगालियों ने उस द्वीप पर स्थित हाथी की मूर्ति को देखकर रखा था, जो अब मुंबई के बायकुला स्थित जीजामाता उद्यान में रखी गई है।
इस द्वीप पर पहले चालुक्यों और फिर गुजरात सल्तनत का शासन था। 1534 में पुर्तगालियों को सौंप दिया गया। इन गुफाओं की प्राचीन भारतीय रॉक कट वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियों में से एक हैं।
गुफाओं में शिव-पार्वती, रावण और अन्य देवताओं की पत्थर की नक्काशी दिखती है।सबसे प्रसिद्ध शिव की त्रिमूर्ति है, जो निर्माण, विध्वंस और संरक्षण के रूप में शिव के तीनों रूपों दिखता है।
यह गुफाएं छठी और पांचवीं सदी की हैं। हिंदू मूर्तियों के अलावा बौद्ध चित्रकला भी है। द्वीप के पश्चिमी हिस्से में मुख्य गुफाएं, जबकि पूर्वी हिस्से में बौद्ध चित्रों का छोटा समूह है।
इतिहासकारों का मानना है कि एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण चालुक्य और राष्ट्रकूट साम्राज्य के दौरान हुआ था, हालांकि इस स्थापत्य का रचनाकार आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
आज ये एक प्रमुख पर्यटन स्थल हैं, जहां लोग न केवल इतिहास जानने आते हैं, बल्कि एलीफेंटा महोत्सव का भी आनंद लेते हैं। इसका उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत को बढ़ावा देना है।
ये द्वीप अरब सागर में मुंबई बंदरगाह क्षेत्र में एक द्वीप है। एलिफेंटा द्वीप का क्षेत्रफल 10-16 वर्ग किमी है, जो ज्वार-भाटा के साथ बदलता रहता है।