राजस्थान सरकार जातीय भेदभाव को मिटाने की दिशा में सविता बेन अंबेडकर अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य है समाज में बराबरी की भावना को मजबूत किया जाए।
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शादी करते ही मिलेंगे 5 लाख
इस योजना के तहत कोई अनुसूचित जाति का युवक या युवती किसी सवर्ण हिंदू साथी से विवाह करता है, तो उन्हें राज्य सरकार द्वारा 10 लाख की आर्थिक सहायता दी जाती है। पहले यह राशि 5 लाख थी।
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कैसे मिलती है सहायता राशि?
5 लाख रुपये विवाह के बाद दंपती के संयुक्त बैंक खाते में जमा किए जाते हैं।बचे हुए 5 लाख रुपये को 8 वर्षों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा जाता है, जिसे बाद में दंपती निकाल सकते हैं।
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क्या हैं योजना की शर्तें?
विवाह के 1 महीने के भीतर आवेदन करना जरूरी है।
दंपती की संयुक्त वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
विवाह किसी मान्यता प्राप्त अधिकृत अधिकारी से प्रमाणित होना चाहिए।
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मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना
राज्य सरकार मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह अनुदान योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत सामूहिक विवाह आयोजित करने वाली किसी भी संस्था को 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है।
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जातीय भेदभाव को चुनौती देती हैं योजनाएं
सरकार की ये दोनों योजनाएं सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता और आर्थिक सहयोग के मजबूत स्तंभ बनकर उभर रही हैं। जहां एक ओर अंतरजातीय विवाह योजना जातीय भेदभाव को चुनौती देती है,
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200 अंतरजातीय जोड़े ले चुके लाभ
अब तक इस योजना का लाभ करीब 200 अंतरजातीय जोड़े ले चुके हैं, जिस पर सरकार करीब 20 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। यह योजना न सिर्फ सामाजिक भेदभाव को कम करने की दिशा में कारगर है।