राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित तनोट माता मंदिर की, जो भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर है। इस मंदिर को लेकर फौजियों की गहरी आस्था है। यहां आज भी पूजा पाठ का काम फौजी ही करते हैं।
बीकानेर जिले में स्थित करणी माता का मंदिर। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां हजारों काले चूहे हैं। जो मां के भक्त हैं। अगर यहां किसी को सफेद चूहा दिख जाता है तो वह भाग्यशाली होता है
राजस्थान के बांसवाड़ा में स्थित त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर। यह मंदिर राजस्थान के आदिवासियों के आस्था का केंद्र माना जाता है। आज दुर्गाष्टमी के दिन यहां भव्य मेले का आयोजन होता है।
जयपुर में स्थित शीला माता का मंदिर। जो जयपुर के दिल्ली रोड पर स्थित आमेर किले में बना हुआ है। यहां भी आज लाखों की संख्या में जयपुर के लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।
नमक उत्पादन के लिए मशहूर राजस्थान के सांभर में भी शाकंभरी माता का मंदिर है। मान्यता है कि सांभर में जो भी लोग नमक उत्पादन से जुड़े काम करते हैं उन पर इन्हीं माता की कृपा है।
जालौर जिले के भीनमाल इलाके में स्थित सुंधा माता का मंदिर जो करीब 900 साल पुराना है। हल्दीघाटी का युद्ध होने के बाद महाराणा प्रताप ने इसी मंदिर में शरण ली थी।
इसी तरह राजस्थान के जोधपुर में स्थित चामुंडा माता का मंदिर जो पहाड़ी पर बना हुआ है। करीब 500 साल से ज्यादा पुराने इस मंदिर को जोधपुर का रक्षक माना जाता है।
सबसे अंत में राजस्थान के उदयपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अंबिका माता का मंदिर। रावल शासनकाल में बनाया गया था। नवरात्रि में सबसे ज्यादा लोग यहीं पर जाते हैं।