बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर दूर बना है माता त्रिपुरा सुंदरी माता का यह वर्षों पुराना मंदिर। चारों तरफ है हरियाली ही हरियाली। नवरात्र में देशभर से आते हैं श्रद्धालु।
माना जाता है कि पहले यहां शक्तिपुरी, शिवपुरी और विष्णुपुरी नाम से तीन दुर्ग हुआ करते थे। इसी के चलते इसका नाम त्रिपुरा सुंदरी पड़ गया।
गुजरात, मालवा और मारवाड़ के शासक त्रिपुरा सुंदरी मां के भक्त हैं। मालवा के राजा नरेश जगदेव परमार ने मां को अपने शीश काटकर चढ़ाए थे। बाद में मां ने उन्हें फिर जीवित कर दिया।
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी पर यहां हवन होता है और इसके बाद माता के कलश के जवार को माही नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।
मंदिर के पास कभी लोहे की खदान थी जिसे मां ने क्रोध वश ध्वस्त कर दी। बाद में पांचाल समाज यानी लोहारों ने यहां मंदिर बनवा दिया। अब भी मंदिर की देखभाल लोहार समाज ही करता है।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी समय निकालकर मां त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन करने जरूर जाती हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई बड़े नेता यहां दर्शन करने के लिए आते हैं।
फिल्म अभिनेत्री और भाजपा नेता हेमा मालिनी भी मां त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन के लिए बांसवाड़ा आ चुकी हैं।