करियर काउंसलर अभिषेक खरे ने बताया सुसाइड की पहली वजह है हर माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते हैं, बच्चों से उनकी क्षमताओं के बारे में नहीं पूछा जाता।
कोटा में सुसाइड की दूसरी वजह है टेस्ट में कम नंबर आना और परीक्षा में सेलेक्शन नहीं होने पर सुसाइड के विचार आते हैं। ऐसे में टीचर और पैरेंट्स को समय-समय पर बच्चों से बात करनी चाहिए।
चौथी वजह है माता-पिता की तरफ से बच्चे पर बेहतर परफॉर्म करने का दवाब होता है। लेकिन रिजल्ट अच्छा नहीं आने से वह डिप्रेशन में आने लगता है।
जब बच्चा अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाता तो वह सोचने लगता है कि माता-पिता का लाखों रुपए खर्च कर दिया, लेकिन में पास नहीं हुआ, जिसके चलते वह तनाव में आने लगता है।
पांचवी वजह है कि जब बच्चे कोटा कोचिंग के लिए जाते हैं तो उनकी उम्र 16 से 18 साल होती है। इस उम्र में बच्चों को बहुत जल्दी मानसिक बदलाव आते हैं।
बच्चा कोटा में अपने घर परिवार से अकेला रहता है, उसे समझाने वाला भी कोई नहीं रहता है, ऐसे में वह बहुत जल्दी तनाव में आ जाता है।
एक्सपर्ट अभिषेक खरे का कहना है कि कोचिंग का माहौल भी मायने रखता है। ऐसे में सेंटर में हेल्दी एक्टीविटीज होनी चाहिए। ह्मूर होना चाहिए ...जिससे वह स्ट्रेस फ्री रहें।
पुलिस और कोचिंग सेंटर को मिलकर बच्चों के लिए मोटिवेशनल सेमिनार का आयोजन करना चाहिए। टीचर और स्टूडेंट के रिलेशन अच्छे होने चाहिए। पढ़ाई के अलावा दूसरे सब्जेक्ट पर भी चर्चा हो...