पताल से भी जिंदा बचा लाते ये लोग, न सेना न NDRF फिर कौन हैं फरिश्ते
Rajasthan Dec 29 2024
Author: Arvind Raghuwanshi Image Credits:Our own
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क्या अब बोरवेल से बाहर आएगी चेतना
राजस्थान के कोठपूतली बोरवेल में गिरी तीन साल की बच्ची चेतना को निकालने के लिए अब रैट माइनर्स उतरे हैं। दिल्ली-हरियाणा की मशीनें काम नहीं आईं तो इन्हें बुलाया गया है।
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रैट माइनर्स कोई फोर्स के मेंबर नहीं
रैट माइनर्स कोई फोर्स के मेंबर नहीं, बल्कि देश के उत्तर पूर्वी इलाकों में रहने वाले जनजातीय लोग हैं। जो छोटी से छोटी सुरंग के जरिए खनिजों को बाहर निकलते हैं।
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रैट माइनर्स एकदम दुबले- पतले होते
रैट माइनर्स एकदम दुबले- पतले होते हैं, जिसके कारण वह छोटी से छोटी सुरंग में घुस जाते हैं। यह लोग ज्यादातर मेघालय, जोवाई और चेरापूंजी समुदाय के होते हैं।
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रैट माइनर्स चूहों की तरह काम करते
रैट माइनर्स चूहों की तरह काम करते हैं। कहीं पर सुरंग नहीं होती तो खुद अपने हाथों और पारंपरिक औजारों से खुदाई करते हैं। चेतना को निकालने के लिए वह जुट गए हैं।
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41 मजदूरों की बचाई थी जिंदगी
यह देश में पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को इन्होंने बाहर निकाला था। इन्हें सरकार या प्रशासन के द्वारा बुलाया जाता है।
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दशकों से यही काम कर रहे ये लोग
सुरंग या गहरी जगह में जाकर किसी आदमी को निकालने का काम यही लोग करते हैं। दशकों से यह लोग काम करते आ रहे हैं जो अब इन कामों में एक्सपर्ट हो चुके हैं।