Hindi

पताल से भी जिंदा बचा लाते ये लोग, न सेना न NDRF फिर कौन हैं फरिश्ते

Hindi

क्या अब बोरवेल से बाहर आएगी चेतना

राजस्थान के कोठपूतली बोरवेल में गिरी तीन साल की बच्ची चेतना को निकालने के लिए अब रैट माइनर्स उतरे हैं। दिल्ली-हरियाणा की मशीनें काम नहीं आईं तो इन्हें बुलाया गया है।

Image credits: Our own
Hindi

रैट माइनर्स कोई फोर्स के मेंबर नहीं

रैट माइनर्स कोई फोर्स के मेंबर नहीं, बल्कि देश के उत्तर पूर्वी इलाकों में रहने वाले जनजातीय लोग हैं। जो छोटी से छोटी सुरंग के जरिए खनिजों को बाहर निकलते हैं।

Image credits: Our own
Hindi

रैट माइनर्स एकदम दुबले- पतले होते

रैट माइनर्स एकदम दुबले- पतले होते हैं, जिसके कारण वह छोटी से छोटी सुरंग में घुस जाते हैं। यह लोग ज्यादातर मेघालय, जोवाई और चेरापूंजी समुदाय के होते हैं।

Image credits: Our own
Hindi

रैट माइनर्स चूहों की तरह काम करते

रैट माइनर्स चूहों की तरह काम करते हैं। कहीं पर सुरंग नहीं होती तो खुद अपने हाथों और पारंपरिक औजारों से खुदाई करते हैं। चेतना को निकालने के लिए वह जुट गए हैं।

Image credits: Our own
Hindi

41 मजदूरों की बचाई थी जिंदगी

यह देश में पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को इन्होंने बाहर निकाला था। इन्हें सरकार या प्रशासन के द्वारा बुलाया जाता है।

Image credits: Our own
Hindi

दशकों से यही काम कर रहे ये लोग

सुरंग या गहरी जगह में जाकर किसी आदमी को निकालने का काम यही लोग करते हैं। दशकों से यह लोग काम करते आ रहे हैं जो अब इन कामों में एक्सपर्ट हो चुके हैं।

Image credits: Our own

फ्री कैंसर इलाज और रोबोटिक सर्जरी: जानें राजस्थान की 6 बड़ी उपलब्धियां

मनमोहन सिंह के भाई मोदी के खास...गजब है बॉन्ड, क्या आप जानते हैं नाम?

न्यू ईयर पर घूमें कम खर्चे वाला हिल स्टेशन, मनाली-कश्मीर जैसा है नजारा

फ्लाइट में भी ट्रेन जैसी चाय पिलाता है ये चायवाला, चिल्लाता है चाय-चाय