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राजस्थान के अनोखे मंदिर: जिनकी शक्तियों के आगे पाक सेना भी नतमस्तक

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ये 5 देवी मंदिर हैं सबसे ज्यादा प्रसिद्ध, जिनकी हैं अलौकिक सिद्धियां

राजस्थान के करणी माता, तनोट माता और शाकंभरी जैसे अनोखे मंदिरों की कहानी, जहां 25 हजार चूहे हैं और पाकिस्तान की सेना भी इनके चमत्कार से हैरान रह गई। जानें इनका इतिहास और मान्यताएं।

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गली मोहल्ले में सज गए मां दुर्गा पांडाल

आज से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। गली- मोहल्ले में मां दुर्गा के पांडाल लगाए गए हैं। साथ ही माता के मंदिरों में भी आज से भीड़ रहेगी।

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1. करणी माता का मंदिर (बीकानेर)

बीकानेर के देशनोक क्षेत्र में स्थित करणी माता को मां दुर्गा का साक्षात अवतार माना जाता है। मंदिर में 25 हजार से ज्यादा चूहे हैं। जो माता की आरती के समय अपने बिल से बाहर आते हैं।

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सभी चूहे होते हैं एक साइज के

यहां पर सभी चूहे एक साइज के होते हैं। मतलब यहां कोई छोटा या बड़ा चूहा देखने को नहीं मिलेगा। कहा जाता है कि यदि यहां पर किसी को सफेद चूहे के दर्शन होते हैं तो वह भाग्यशाली होता है।

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2. शाकंभरी माता का मंदिर (जयपुर के पास)

जयपुर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शाकंभरी माता मंदिर की भी अपनी ही कहानी है। मान्यता है कि जब राक्षसों की वजह से धरती पर अकाल पड़ा था।

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शाकंभरी मां के पूरे भारत में 3 शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर

तब देवी-देवताओं और मनुष्यों ने देवी की आराधना की तो आदिशक्ति ने नवरूप धारण करके पृथ्वी पर अपनी दृष्टि डाली। शाकंभरी मां के पूरे भारत में केवल तीन शक्तिपीठ है।

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3. जीणमाता का मंदिर (सीकर)

सीकर में स्थित जीणमाता मंदिर में मेले के दौरान लाखों की संख्या श्रद्धालु दर्शन करते हैं। इस मंदिर पर औरंगजेब की सेना ने भी आक्रमण किया।

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औरंगज़ेब ने किया था मंदिर तोड़ने का प्रयास

औरंगज़ेब ने लाख कोशिश की लेकिन इस मंदिर को तोड़ नहीं पाया। तब से वह माता के चमत्कार से प्रभावित हो गया और फिर मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योत का तेल दिल्ली से भेजना शुरू किया।

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4. तनोट माता का मंदिर (जैसलमेर)

इसी तरह जैसलमेर में तनोट माता का मंदिर है। जहां आज भी फौजी ही पूजा करते हैं। जब पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो पाकिस्तान की ओर से छोड़े गए गोला-बारूद का भी मंदिर पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

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5. कैलादेवी का मंदिर (करौली)

इसी तरह कैलादेवी मंदिर का निर्माण 1100 ईस्वी में हुआ था। यहां हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मेले का आयोजन किया जाता है।

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यहां मन्नत पूरी करने के लिए यहां स्नान करना है जरूरी

यहां पास ही में कालीसिल नदी स्थित है। कहा जाता है कि यदि नदी में स्नान करके कोई मंदिर में दर्शन करता है तो उसकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है।

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