जयपुर की एक बहन सुनीता 24 साल पहले बॉर्डर पर शहीद हुए भाई कैप्टन अमित हर साल राखी भेजती हैं। उनका कहना है कि मेरा एक भाई गया, लेकिन कई भाई देश सेवा में हैं। वह राखीं बांधते हैं।
सुनीता अमित की समाधी स्थल पर जाकर हर साल फोटोज पर राखी बांधती है। आज भी जब सुनीता और उनका परिवार राखी बांधने गया तो लाख कोशिश करने के बाद भी कुछ आंसू लुढक ही गए....
कारगिल युद्ध में दस से भी ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को भून डालने वाले अमित तो शहीद हो गए लेकिन उनकी बहन आज तक रक्षाबंधन मना रही है।
4 जाट रेजीमेंट में कैप्टन अमित जयपुर के रहने वाले थे। माता पिता और बहन के साथ मालवीय नगर में रहते थे। जिस समय शहीद हुए उस समय उम्र सिर्फ 27 साल की थी।
अमित को सेना में गए महज एक साल 8 महीने हुए थे। लेकिन उनकी बहादुरी देखकर उन्हें कैप्टन बनाया गया। लेकिन कारगिल युद्ध में 10 पाकिस्तानी सैनिकों को भून डालने वाले अमित तो शहीद हो गए
बताया जता है कि जब सुनीता ने पहली बार बॉर्डर पर राखी भेजी तो अमित ने बहन से कहा था दीदी मेरी कुछ और साथी हैं जिनके लिए भी आप राखी भेजें तो उन्हें अच्छा लगेगा। तभी से यह चल रहा है।