कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी दोनों लोकसभा सीटें जीत लीं, हर तरफ कांग्रेस की तारीफ हो रही है। लेकिन अमीठी जीतने के पीछे एक बड़े नेता की रणनीति थी, जिसके कारण स्मृति ईरानी हार गईं।
अपनी हारी हुई परंपरागत सीट पर कांग्रेस दोबारा जीत चाहती थी। इसलिए तो सिर्फ एक सीट के लिए राजस्थान में तीन बार के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत को प्रभारी बनाकर भेजा गया था।
कांग्रेस ने अमेठी जीतने के लिए गांधी परिवार के करीबी और सोनिया गांधी के भरोसेमंद किशोरीलाल शर्मा को टिकट दिया। वहीं अशोक गहलोत को वहां चुनाव की बागडोर सौंपी गई।
अशोक गहलोत पूरा एक सप्ताह अमेठी में रहे। रोजाना वह दिन में प्रत्याशी किशोरीलाल शर्मा के साथ प्रचार करने जाते। वहीं रात को वह रणनीति बनाने में लग जाते थे।
अशोक गहलोत ने खुद बताया था कि हमने और खासकर राहुल गांधी ने अमेठी सीट जीतने के लिए राहुल गांधी ने खास प्लान बनाया है। हमने उस पर काम किया और सीट जीत गए।
कहा तो यह भी जा रहा है कि गहलोत अमेठी में इतने बिजी रहे कि वह अपने बेटे वैभव की जालोर सीट पर ध्यान नहीं दे पाए। जिसके कारण बेटा यह चुनाव हार गया।
गहलोत ने कहा कि अमेठी जीतने के लिए प्रियंका गांधी ने भी बहुत मेहनत की है। उनकी सालों की मेहनत है। जिसके कारण रिकॉर्ड वोटों से स्मृति ईरानी को हरा सके।