जैन संत मुनि ने महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है। जिसका उद्देश्य लोगों को मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से होने वाली समस्याओं के प्रति जागरूक करना।
जैन मुनि समत्वसागर वही संत हैं, जिन्होंने लाखों-करोड़ों रूपए की चमक-दमक छोड़ वैराग्य अपना लिया और आज वह जैन समाज के बड़े संत हैं। जो डिजिटल के दुष्प्रभावों के बारे में बता रहे हैं।
मुनि समत्वसागर ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद विदेश में एक शानदार नौकरी करते थे। जिनका सालाना पैकेज ढाई करोड़ रुपए था।
इतना सबकुछ पाने के बाद भी समत्वसागर को लगता था कि यह जीवन बेकार है। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अध्यात्म के मार्ग पर चल पड़े।
अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए समत्वसागर अमेरिका से जयपुर लौट आए। यहां आगर उन्होंने दीक्षा ली और सांसरिक मोह-माया से दूरी बना ली। अपना परिवार तक त्याग दिया।
अब जयपुर में चल रहे उनके सत्संग में उन्होनें जैन समाज को सप्ताह में एक दिन मोबाइल व्रत करने का आहृवान किया है। समाज इसके लिए तैयार हो गया है। ।