राजस्थान में दूल्हा-दुल्हन के लिए पहली दीवाली बेहद खास होती है। खासकर बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले में अनोखी परंपरा चलाई जाती है।
आणा यानी गौणा... गौणा का मतलब होता है नई नवेली दुल्हन का पहली बार ससुराल में जाना । जबकि मेरियू परंपरा है , एक विशेष प्रकार का दीपक बनाना जिसे दूल्हा बनता है।
मेरियू दीपक का ही एक रूप है, लेकिन इसे विशेष तरह से बनाया जाता है। जिसमें नारियल गन्ना, गोबर और माटी का प्रयोग किया जाता है। दिवाली के अगले दिन नई दूल्हा दुल्हन मानते इसे हैं।
दूल्हा और दुल्हन अपने घर के चौखट पर खड़े होते हैं और उनके हाथ में विशेष दीपक यानी मेरियू होता है। रिश्तेदार दीपक में भरने के लिए तेल लेकर आते हैं।
यह तेल दुल्हन अपने हाथों से विशेष दीपक में भरती है और उसके बाद दूल्हा भी उसकी मदद करता है।तेल की धार का विशेष महत्व होता है, इसी से आने वाले जीवन को सुखमय माना जाता है।
मेरियू से ठीक पहले गौना मनाया जाता है। इसमें नव विवाहित दुल्हन अपने पिता के घर चली जाती है और दूल्हा दिवाली से ठीक पहले उसे लेने पहुंचता