अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होगा। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने एशियानेट न्यूज के राजेश कालरा के साथ मुलाकात के दौरान खास जानकारियां दी थी।
राम मंदिर को कम से कम 1000 साल तक टिके रहने के लिए बनाया गया है। मंदिर बनाने में लोहे और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
राम मंदिर को पत्थर से बनाया गया है। हर पत्थर में खांचा बनाया गया है। दूसरे पत्थर को उस खांचे के साथ फिट किया गया है। इस तरह मंदिर के सभी पत्थर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
मंदिर का मुख्य ढांचा राजस्थान के भरतपुर जिले के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थर से तैयार किया गया है। यह मजबूती और लंबी उम्र के लिए प्रसिद्ध है। यह समय के साथ अधिक मजबूत होता है।
मंदिर निर्माण में स्टील इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसकी उम्र कम होती है। इसमें जंग लगने की आशंका होती है। इसके चलते स्टील से बनी इमारत को 80-100 सालों में मरम्मत की जरूरत होती है।
राम मंदिर को अगले एक हजार साल तक किसी मरम्मत की जरूरत नहीं होगी। इस मंदिर की नीव इतनी मजबूत है कि 6.5 तीव्रता के भूकंप से नुकसान नहीं होगा।
राम मंदिर के नीव में भारी पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। नीव 50 फीट गहरी है। इसे पूरी तरह पत्थर से तैयार किया गया है।
मंदिर बनाने में अभी तक 17 हजार ग्रेनाइट पत्थर लगे हैं। हर पत्थर का वजन दो टन है। मंदिर का आधार बनाने के लिए मिर्जापुर से लाए गए 4 लाख घन फीट गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
मंदिर के शिखर को तराशने के लिए राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से लाए गए 1 लाख घन फीट नक्काशीदार संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है।