22 जनवरी, 2024 को अयोध्या (Ayodhya) में रामलला विराजित होंगे। मंदिर की नींव रखने से लेकर इसके अब तक के निर्माण में कई बड़ी चुनौतियां आईं।
राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्रा ने एशियानेट न्यूज से बातचीत में बताया कि राम मंदिर बनाने में आखिर सबसे बड़ी चुनौती क्या रही।
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, राम मंदिर बनाने के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती सामने आई, वो थी मंदिर की नींव यानी फाउंडेशन बनाने की।
नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया कि जब हमने यहां मिट्टी का परीक्षण किया और जो रिजल्ट सामने आए उससे साफ था कि मंदिर की नींव के लिए करीब 2 एकड़ के इलाके की पूरी मिट्टी खोदनी पड़ेगी।
इसके बाद यहां 15 मीटर गहराई यानी 3 मंजिला इमारत बराबर मिट्टी निकाली। इस पर भी सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि खुदाई का काम मानसून से पहले करना था, क्योंकि बरसात में मिट्टी ढह सकती थी।
मंदिर परिसर में 15 मीटर खुदाई के बाद यहां एक बड़े कुएं की तरह बन गया था। अब हमारे सामने दूसरी बड़ी चुनौती इस कुएं को भरने की थी।
नींव को भरने के लिए हमने इंजीनियर सॉइल (मिट्टी) का इस्तेमाल किया। ये वो मिट्टी होती है, जो खुद को चट्टान में बदल लेती है। मंदिर की नींव को हमने एक रॉक फाउंडेशन की तरह बनाया।
इंजीनियर सॉइल से नींव भरने के बाद इसकी मजबूती का परीक्षण किया गया। इसमें कंस्ट्रक्शन एजेंसी L & T और प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर ने मदद की।