अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होनेवाली रामलला की मूर्ति बहुत सुंदर है।
राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, भगवान राम की प्रतिमा को इस तरह तैयार किया गया है कि हर साल रामनवमी पर सूर्य भगवान श्रीराम का अभिषेक करेंगे।
वैज्ञानिकों और खगोलशास्त्रियों की सलाह पर भगवान की मूर्ति की लंबाई-ऊंचाई को ऐसा रखा गया है कि हर साल चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी को सूर्य की किरणें भगवान के ललाट पर पड़ेंगी।
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, भगवान राम चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को प्रकट हुए थे और मान्यता है उनका जन्म दोपहर 12 बजे हुआ था। ऐसे में सूर्य किरणें 12 बजे भगवान के ललाट पर पड़ेंगी।
CSIR (सेंट्रल साइंटिफिक रिसर्च इंस्टिट्यूट) के वैज्ञानिकों ने मूर्ति को इस तरह एडजस्ट किया है कि सूर्य किरणें रिफलेक्ट होकर 5-10 मिनट के लिए भगवान राम के माथे पर पड़ें।
वैज्ञानिकों ने इसे कुछ इस तरह कम्प्यूटराइज्ड किया है कि दोपहर के 12 बजने में 19 साल तक समय में जो बदलाव होता है, वो बिना किसी एडजस्टमेंट के ऑटोमैटिकली होता रहे।
रामनवमी पर पूरे अयोध्या में 100 से ज्यादा स्क्रीन्स लगाई जाएंगी, ताकि दोपहर 12 बजे रामलला के माथे पर पड़ने वाली सूर्य किरणों का लाइव दिखाया जा सके।
बता दें कि तीन शिल्पकारों ने प्रभु श्रीराम की मूर्ति का निर्माण अलग-अलग किया है। जिस मूर्ति को चुना गया है, उसकी पैर से ललाट तक की लंबाई 51 इंच है।
रामलला की मूर्ति का वजन डेढ़ टन है। 51 इंच ऊंची मूर्ति के ऊपर मस्तक, मुकुट और आभामंडल को बेहद बारीकी से तैयार किया गया है।