अयोध्या में भव्य राम मंदिर आकार ले रहा है, जिसका उद्घाटन 22 जनवरी, 2024 को है। पीएम मोदी गर्भगृह में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे।
बता दें कि अयोध्या (Ayodhya) के राम मंदिर में लगने वाला एक-एक पत्थर अलग-अलग तरह के 5 कठिन टेस्ट से गुजरा है।
मंदिर में लगने वाले पत्थर की टेस्टिंग कई चरणों में हुई है। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, पत्थरों को लगाने से पहले उनका ट्रीटमेंट और वेरिफिकेशन हुआ है।
मंदिर में लगने वाले पत्थरों की टेस्टिंग नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स (NIRM) कर्नाटक ने की है। NIRM के साइंटिस्ट ने एक-एक पत्थर का परीक्षण कर उस पर स्टाम्प लगाया है।
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, राम मंदिर में लगने वाले पत्थर कई टेस्ट से गुजरे हैं। बाद में स्टोन के कुछ टुकड़े लैब में ले जाकर वहां बारीकी से कुछ और टेस्टिंग हुई है।
राम मंदिर में लगने वाले पत्थरों को सबसे पहले विजुअल टेस्ट से गुजरना पड़ा। इसके बाद उनका फिजिकल टेस्ट हुआ। बाद में साउंड टेस्ट, वॉटर टेस्ट और सबसे आखिर में लैब टेस्टिंग हुई।
बता दें कि मंदिर में लगने वाले स्टोन की टेस्टिंग करने वाला संस्थान NIRM भारत सरकार के अधीन एक ऑटोनॉमस रिसर्च इंस्टिट्यूट है, जिसका हेडऑफिस बेंगलुरू में है।
NIRM फील्ड और लैब इन्वेस्टिगेशन के अलावा बेसिक एंड एप्लाइड रिसर्च और रॉक इंजीनियरिंग से संबंधित जटिल समस्याओं को हल करने के लिए रिसर्च करता है।