महिला नागा साधु भी भारतीय संत समुदाय का हिस्सा हैं, जो कठोर तपस्या और भौतिक वस्तुओं से पूर्णतः विरक्ति के लिए जानी जाती हैं।
महिला नागा साधु आमतौर पर केवल कुंभ और महाकुंभ मेलों में सार्वजनिक रूप से नजर आती हैं। इसके बाद वे अपने अखाड़े या जंगलों में वापस लौट जाती हैं और अपनी साधनाओं में लीन हो जाती हैं।
महिला नागा साधुओं को अपने अखाड़े में नग्न रहने की अनुमति है, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यह नियम उनके सम्मान और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
लेकिन भारत की एक मात्र महिला नागा साधु भी रही जिन्हें पुरुष नागा साधुओं की तरह ही नग्न रहने की अनुमति दी गई।
साध्वी ब्रह्मा गिरी भारत की पहली और इकलौती महिला नागा साधु थीं, जिन्हें बिना कपड़ों के रहने की अनुमति मिली थी। उनके साहसिक निर्णय ने उन्हें नागा साधुओं में एक विशिष्ट स्थान दिया।
नागा साधु समुदाय में पुरुषों को नग्न रहने की अनुमति है, वहीं महिलाओं के लिए सख्त पांबदी रही है। लेकिन साध्वी ब्रह्मा गिरी ने परंपरा को चुनौती दी और अपनी साधना के लिए इसे अपनाया।
साध्वी ब्रह्मा गिरी का यह कदम उनके गहन तप, साधना और भौतिक सुख-सुविधाओं से विरक्ति को दर्शाता है। यह उनके आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की खोज का हिस्सा था।
साध्वी ब्रह्मा गिरी के बाद किसी अन्य महिला नागा साधु को नग्न रहने की अनुमति नहीं दी गई। यह उन्हें भारतीय संत परंपरा में एकमात्र और अद्वितीय बनाता है।
उनकी कहानी आज भी आध्यात्मिक दुनिया में प्रेरणा और रहस्य का विषय बनी हुई है। साध्वी ब्रह्मा गिरी ने न केवल एक अनूठा जीवन जिया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नई दृष्टि पेश की।