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संभल हिंसा का सच: जानिए ऐतिहासिक, कानूनी और धार्मिक दृष्टिकोण

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16वीं सदी की है मुगलकालीन मस्जिद

संभल की जामा मस्जिद विवाद: 16वीं सदी की मुगलकालीन मस्जिद पर सर्वेक्षण के दौरान हिंसा, ऐतिहासिक तथ्यों और कानूनी विवादों पर एक विस्तृत विश्लेषण।

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मुरादाबाद के संभल में स्थित मस्जिद का है ऐतिहासिक महत्व

मुरादाबाद के संभल में मुगलकाल के आरंभ में निर्मित ये मस्जिद उत्तर भारत का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। यह अपने गुंबदों और मीनारों के साथ इस्लामी वास्तुकला की भव्यता को दर्शाती है।

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कोर्ट के आदेश पर हो रहा था सर्वे

कोर्ट के आदेश पर मस्जिद का सर्वेक्षण किए जाने के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की जान चली गई, दर्जनों घायल हो गए और शहर में तनाव का माहौल बन गया।

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मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व

जामा मस्जिद का निर्माण पहले मुगल सम्राट बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान उनके एक अधिकारी, हिंदू बेग कुसीन, द्वारा कराया गया था।

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अयोध्या और पानीपत के बाद बाबर के शासनकाल की ये है तीसरी मस्जिद

यह मस्जिद अयोध्या की बाबरी मस्जिद और पानीपत मस्जिद के साथ, बाबर के शासनकाल की प्रमुख संरचनाओं में से एक है। मस्जिद के अंदर फारसी शिलालेख इसकी मुगल उत्पत्ति को प्रमाणित करते हैं।

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याचिकाकर्ता का क्या है दावा?

कुछ इतिहासकारों का दावा है कि इसका निर्माण एक हिंदू मंदिर में किया गया था। संभल को हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के दसवें अवतार, कल्कि, के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है।

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कब शुरू हुआ ये विवाद?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और अन्य ने मस्जिद को भगवान कल्कि के मंदिर के खंडहरों पर निर्मित बताते हुए कोर्ट में याचिका दायर की।

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याचिकाकर्ता ने इन दो पुस्तकों का किया उल्लेख

उन्होंने दावा किया कि बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी में बाबर द्वारा मंदिर तोड़ने का जिक्र है। याचिकाकर्ताओं ने ASI से मस्जिद का नियंत्रण लेने और इसकी जांच की मांग की।

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हिंसा और प्रशासनिक कार्रवाई

24 नवंबर को दूसरा सर्वेक्षण किए जाने के दौरान सैकड़ों लोगों ने इसका विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंके, वाहनों को आग लगा दी, और सुरक्षाबलों पर हमला किया।

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जिले में इंटरनेट सेवा बंद

पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई। 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हैं। इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।

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बसपा सुप्रीमो ने बताया सरकार की विफलता

सपा सांसद जियाउर रहमान बर्क ने इस विवाद को सांप्रदायिक सद्भाव भंग करने की साजिश करार दिया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार पर सांप्रदायिक तनाव को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया।

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क्या है आगे का रास्ता?

इस विवाद अब सांप्रदायिक रूप ले लिया है। 1991 के वर्सिप एक्ट के तहत इसकी स्थिति बदलने पर रोक है, लेकिन याचिकाकर्ता अपने दावों के लिए ऐतिहासिक और धार्मिक तर्क दे रहे हैं।

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