वाराणसी में बच्चों में बैक्टीरियल डिसीज लेप्टोस्पायरोसिस फैलने के मामले सामने आने के बाद हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट हुआ है, इसे कोरोना से भी घातक माना जाता है
BHU के जीवविज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के मुताबिक,लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरिया कोरोना वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है, कोरोना में मृत्यु दर 1-1.5% है, जबकि लेप्टोस्पायरोसिस में 3-10%
वाराणसी में लेप्टोस्पायरोसिस के 10 केस आए हैं, यह चूहों से फैलता है, चूहों ने कहीं पेशाब की है और अगर किसी बच्चे की स्किन कटी है, जो उसके संपर्क में आता है तो बीमार हो जाता है
यह बैक्टीरिया 6 महीने तक पानी में जीवित रह सकता है, इसका सबसे अधिक इन्फेक्शन जुलाई से अक्टूबर के बीच देखने को मिलता है
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण डेंगू और वायरल फीवर से मिलते हैं, हालांकि इसमें प्लेटलेट्स तेजी से डाउन न होकर 30-40 हजार के बीच रिकवर हो जाती हैं
यह शरीर के अंगों पर बुरा असर डालता है, अगर सही इलाज न मिले, तो बुखार 10-15 दिन तक बना रह सकता है, पीलिया या हार्ट फेल होने का खतरा होता है
बुखार, शरीर, पीठ-पैरों में तेज दर्द, आंख में लाली, पेट में दर्द, खांसी, खांसी के साथ खून आना, सर्दी के साथ बुखार आना और शरीर में लाल चकत्ते, बुखार 104 डिग्री से अधिक भी हो सकता है
घरों से चूहे बाहर निकालें, खाने-पीने की चीजें पैक रखें ताकि चूहे न आएं, जिस पानी में जानवर रहते हों, उसमें नहाने से बचें