उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर 85 घाटों पर इस साल 12 लाख से अधिक दीपों को प्रज्जवलित किया गया। पूरी काशी में 21 लाख से अधिक दीप घाटों, कुंडों, तालाबों और सरोवरों पर प्रज्जवलित किया।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को विशाखापट्टनम के एक भक्त द्वारा 11 टन फूलों से सजाया गया है।
गंगा द्वार पर लेज़र शो के माध्यम से श्री काशी विश्वनाथ धाम पर आधारित काशी का महत्व और कॉरिडोर के निर्माण संबंधित जानकारी लेज़र शो के माध्यम से दिखाई गई।
विश्वविख्यात देवदीपावली पर साक्षी बनने के लिए 70 देशों के राजदूत काशी आए। इनके साथ ही 150 विदेशी डेलीगेट्स और परिजन भी देव दीपावली का दिव्य नजारा देखा।
दशाश्वमेध घाट की आरती रामलला को समर्पित थी। यहां रामलला व राम मंदिर की झलक मिली।
शिव पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर देवताओं की दीपावली होती है। त्रिपुरासुर राक्षस ने देवताओं पर अत्याचार शुरू किया तो भगवान विष्णु ने वध किया। देवताओं ने दीपावली मनाई थी।
काशी नरेश ने अपने शहीद सैनिकों के लिए घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन की प्रथा शुरू की थी। कार्तिक मास के इस दिन दीप दान करने से पूर्वजों को तो मुक्ति मिलती है।
कार्तिक में भगवान विष्णु की आराधना होती है। भगवान शिव को विष्णु और मां गंगा अति प्रिय हैं। काशी शिव की नगरी कहलाती है इसलिए लाखों श्रद्धालु इस अलौकिक पल का हिस्सा बनना चाहते हैं।