आजकल महंगे स्मार्टफोन आ गए हैं और उनका चोरी होना भी आम हो गया है। ऐसे में फोन की सेफ्टी के लिए इंश्योरेंस लेना फायदेमंद माना जाता है। बीमा से नुकसान की भरपाई की जाती है।
कई बार महंगा फोन नया-नया लेने के बाद ही खो जाता है। EMI चलती रहती है लेकिन फोन खो जाता है। ऐसे समय में इंश्योरेस क्लेम ही मददगार साबित होता है और नुकसान कवर हो जाता है।
स्मार्टफोन का इंश्योरेंस उसी तरह होता है, जैसे कंपनियां दूसरे प्रोडक्ट्स का इंश्योरेंस कवर देती हैं। ऐसे में फोन के चोरी होने, खोने पर इंश्योरेंस कंपनियां नुकसान की भरपाई करती हैं।
महंगे स्मार्टफोन के इंश्योरेंस को आसान भाषा में एक्सटेंडेड वारंटी पॉलिसी कहा जाता है। ज्यादातर कंपनियां फोन पर एक साल की वारंटी देती हैं। एक्सटेंडेड वारंटी 3 साल तक का कवर देती है।
वारंटी में स्मार्टफोन कंपनियों का डिफेक्ट कवर होता है। यह पॉलिसी फोन चोरी या डैमेज होने पर कवर नहीं देती, यह मैन्युफैक्चरिंग की गारंटी देती है। ऐसे में इंश्योरेंस की जरूरत पड़ती है
डिजिटल फ्रॉड आजकल काफी कॉमन हो गया है। साइबर फ्रॉड आपके सोशल मीडिया अकाउंट या बैंक डिटेल्स की चोरी भी कर सकते हैं। ऐसे में फोन का इंश्योरेंस काम आ सकता है।
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आप साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं। ये आपको ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर स्टॉकिंग या मैलवेयर अटैक से होने वाले नुकसान को कवर कर नुकसान से बचाता है।