मोबाइल कॉल और मैसेज से चुनावी नतीजों पर असर डाला जा सकता है, इसलिए इलेक्शन कमीशन और टेलीकॉम कंपनी बल्क में किए जा रहे कॉल और मैसेज पर नजर बनाए हुए है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव के दौरान SMS और कॉल का वॉल्यूम 300-400 मिलियन बढ़ जाता है, इसलिए चुनाव के दौरान बल्क मैसेज और कॉल का खर्च 3-4 करोड़ तक रखा जाता है।
इन मैसेज में पोल रिलेटेड जानकारी और विज्ञापन होते हैं। ऐसे में अगर कोई चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन कर मैसेज या कॉल करता है तो जेल तक जाना पड़ सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार,चुनाव आयोग और टेलिकॉम कंपनियां बल्क कॉल्स-मैसेज को ट्रैक करने पर बातचीत कर रही हैं। टेलीकॉम कंपनियां ऐसे कस्टमर्स की KYC कर रही हैं, जो चुनावी पोल चला रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान किसी को ज्यादा संख्या में चुनाव से जुड़े पोल्स न भेजें। ऐसे मैसेज या कॉल न करें, जिनमें चुनावी सामाग्री या विज्ञापन हो।
किसी भी मैसेज फॉरवर्ड करने से पहले उसे चेक कर लें। अगर मैसेज कई बार फारवर्ड किया गया है तो उसे अच्छी तरह पढ़ें। एक बार में भारी संख्या में मैसेज भेजने की भूल न करें।
किसी खास राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति को वोट देने को लेकर दबाव बनाने वाले कॉल या मैसेज करने से बचें।
पैसे लेकर वोट देने को लेकर कॉल या मैसेज भी न करें। धमकाने को लेकर कॉल या मैसेज करने पर चुनाव आयोग एक्शन ले सकता है और जेल जाना पड़ सकता है।