कलयुग में गीता का ज्ञान बेहद प्रासंगिक है। इसकी कुछ बातें जीवन में उतारकर सफलता हासिल की जा सकती है।
गुस्सा कनफ्यूजन क्रिएट करता है। जिससे दिमाग तर्क करना भूल जाता है। आखिरकार मनुष्य अपने पतन की तरफ बढ़ जाता है।
ज्ञान का कर्म के साथ इस्तेमाल बेहद जरुरी है। सक्सेसफुल लाइफ के लिए यहीं नजरिया सबसे बेहतर होता है।
जिसने मन पर नियंत्रण रख लिया, उसने आधी जंग जीत ली, चंचल मन मनुष्य का शत्रु बन जाता है।
सफलता की पहली जरुरत अनुशासन है। इसे जीवन में उतारे सारे कार्य एक के बाद एक होते चले जाएंगे।
'मनुष्य को अपनी क्षमता के बारे में बखूबी पता होता है। आप जैसा चाहेंगे वैसा कर लेंगे, बस खुद पर विश्वास रखिए। जीवन में किसी भी मोड़ पर इसपर शंका नहीं करना चाहिए
आपके कर्मों का फल अवश्य मिलेगा। अच्छा होगा तो अच्छा, बुरा होगा तो बुरा। जीवन में कभी भी कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता है।
अभ्यास ही व्यक्ति को परफेक्ट बनाता है। ये बात अशांत मन पर भी लागू होती है।
लगन से किए कार्य का फल मिलना तय है। जो चाहिए उस पर से फोकस बनाए रखें
परिवर्तन हर हाल में होकर रहेगा, समाज भी हर पल बदलता रहता है, उसके अनुसार खुद को ढालना सीखें।
लाख प्रयत्न करने पर लक्ष्य हासिल ना हो तो रास्ता बदलना चाहिए, लेकिन टारगेट नहीं।