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29 फरवरी न होती तो क्या होता, जानें हर 4 साल में क्यों जरूरी Leap Year

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हर चार साल बाद क्यों आती है 29 फरवरी

हमारा कैलेंडर ईयर सोलर ईयर से मैच कर सकें, इसलिए हर चार साल बाद फरवरी में 29 तारीख आती है। सौरमंडल में कोई 'गड़बड़ी' न हो इसलिए 4 साल में लीप ईयर जरूरी है।

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फरवरी में क्यों नहीं होते 30 दिन

रोमन राजा जूलियस सीजर ने 12 महीने का कैलेंडर बनाया। उनकी हत्या के बाद सम्मान में कैलेंडर में 31 दिनों का जुलाई रखा गया। इसके बाद सीजर ऑगस्टस राजा बना, जिसके नाम पर अगस्त माह पड़ा।

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फरवरी में 28 दिन ही क्यों होते हैं

ऑगस्टस को चिढ़ थी कि जूलियस सीजर के नाम पर रखे जुलाई में 31 दिन थे, लेकिन अगस्त में 29 दिन ही हुआ करता था इसलिए उसने अगस्त में भी 31 दिन कर दिए और फरवरी में 28 दिन हो गए।

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फरवरी में 29 तारीख क्यों आती है

जब जूलियस सीजर राजा बने तब कैलेंडर में 355 दिन हुआ करते थे। नई गणनाओं में पता चला पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर 365 दिन 6 घंटे में लगाती है।इसके समाधान के लिए 4 साल में 1 दिन बढ़ाया गया

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ग्रेगोरियन कैलेंडर कब बना

15वीं सदी में रोमन चर्च के पोप ग्रेगोरी 13वें ने फिर से गणनाएं कि और पाया कि पृथ्वी 365 दिन, 5 घंटे, 46 मिनट और 48 सेकंड में सूर्य का चक्कर लगाती है, फिर ग्रेगोरियन कैलेंडर बना।

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4 साल में क्यों आती है 29 फरवरी

5 घंटे, 46 मिनट, 48 सेकंड के बचे घंटों को एडजेस्ट करने पोप ग्रेगोरी 13वें ने बताया कि 400 से डिवाइड होने वाले साल में 1 दिन बढ़ाया जाए। तब से हर चार साल में 1 दिन बढाया जाता है।

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क्या आगे नहीं होगी 29 फरवरी

1700, 1800 और 1900 के कैलेंडर में 29 फरवरी नहीं थी लेकिन 2000 के कैलेंडर में 29 तारीख है। अब 2100 के कैलेंडर में 29 फरवरी नहीं होगी लेकिन 2400 कैलेंडर में 29 फरवरी होगी।

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अगर लीप ईयर हटा दें तो क्या होगा

लीप डे हटा दें तो सोलर ईयर में कई दिक्कतें आ जाएंगी। लीप डे इसलिए जरूरी है क्योंकि कैलेंडर ईयर से 1 साल 365 दिन होता है, जबकि सोलर ईयर से 1 साल 365 दिन करीब 6 घंटे का होता है।

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29 फरवरी को लेकर साइंस क्या कहता है

नासा के अनुसार, 1 साल में 6 घंटे के ज्यादा मायने नहीं हैं लेकिन कई सालों तक इसे इग्नोर करने से गड़बड़ी हो सकती है। मौसम सिस्टम बदल सकता है। लीप ईयर न हो तो मई सर्दी महीना हो जाएगी

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