अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने जिन क्रांतिकारियों ने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी, उनमें खुदीराम बोस भी थे, जिन्हें 11 अगस्त, 1908 को महज 18 की उम्र में फांसी दे दी गई थी
खुदीराम बोस जब 9th क्लास में पढ़ते थे, तब अंग्रेजों के अत्याचार देखकर इतना आक्रोश आया कि स्कूल छोड़कर क्रांति करने उतर गए थे
खुदीराम बोस ने 30 अप्रैल, 1889 को मजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका था, संयोग से वो उस वक्त मौजूद नहीं था
खुदीराम बोस को मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दी गई थी, तब उनके हाथ में भगवद्गीता थी
फांसी के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे, नौजवान उसी धोती को पहनने लगे, जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था
खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर, 1906 में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में एक कायस्थ परिवार में हुआ था, इनके पिता का नाम बाबू त्रैलोक्यनाथ और मां का नाम लक्ष्मीप्रिया था