भारत सहित पूरी दुनिया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम मची हुई है। यहां हम आपको देश की उन 10 जगहों के बारे में बता रहे हैं, जहां इस पर्व पर खास आयोजन किए जाते हैं।
श्रीकृष्म जन्माष्टमी के दस दिन पहले ही मथुरा में भजन, कीर्तन और प्रवचन कार्यक्रम शुरु हो जाते हैं। इस दौरान दुनियाभर से कृष्ण भक्त मथुरा पहुंचते हैं।
वृन्दावन, कृष्ण का बचपन और किशोरावस्था और उनकी फेमस रासलीला से जुड़ा हुआ है। वृन्दावन में लगभग 10 दिन पहले से ही जन्माष्टमी का उत्सव शुरू हो जाता है।
गोकुल में कृष्ण का बचपन बीता था। किंवदंती के मुताबिक मथुरा में कंस के कारावास में जन्म लेने के बाद श्रीकृष्ण को आधी रात के बाद गोकुल लाया गया था।
मुंबई में कृष्ण जन्माष्टमी पर जगह - जगह 'दही हांडी' का आयोजन किया जाता है। मंदिरों में भव्य सजावट की जाती है। खूब उत्साह से जन्माष्टमी मनाया जाता है।
नाथद्वारा को मुख्य रूप से श्रीनाथजी मंदिर के लिए पहचाना जाता है। यहां श्रीकृष्ण के बाल रूप के दर्शन होते हैं। जन्माष्टमी में बड़ा उत्सव मनाया जाता है।
द्वारका को भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था। यहां भव्य जन्माष्टमी समारोह का आयोजन करता है। पूरी दुनिया से यहां भक्त पहुंचते हैं। इस दिन कान्हा को विशेष भोग चढ़ाया जाता है।
उडुपी, श्री कृष्ण मठ और गोकुलाष्टमी उत्सव के लिए जाना जाता है। कनकन्ना किंडी पर बैठे इस मंदिर में एक छोटी खिड़की है, कहा जाता है भगवान कृष्ण ने यहीं से भक्त कनकदास को दर्शन दिए थे।
कुंभकोणम में बहुत धूमधाम से जन्माष्टमी मनाई जाती है। स्थानीय मंदिरों को खूबसूरती से सजाया जाता है, और भक्त कृष्ण भक्ति में लीन हो जाते हैं। रातभर खूब गीत-संगीत की महफिल सजती है।
गुरुवयूर मंदिर, दक्षिण भारत में एक प्रसिद्ध भगवान कृष्ण मंदिर है, माना जाता है कि यह मंदिर कृष्णावतार के दौरान भगवान ब्रह्मा द्वारा भगवान विष्णु को उपहार में दिया गया था।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर की भूमि को कृष्ण का होम टाउन कहा जाता है, जहां वह अपने भाई-बहनों, बलराम और सुभद्रा के साथ रहते हैं।